Make In India अभियान: भारत के विकास को नई दिशा देने के लिए भारत सरकार ने Make In India नामक एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। यह केवल एक योजना नहीं, बल्कि एक व्यापक आंदोलन है, जिसका उद्देश्य देश में विदेशी निवेश को आकर्षित करना और विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना है। इस अभियान के जरिए, सरकार देश में नए रोजगार के अवसर सृजित करने के साथ ही आर्थिक समृद्धि को भी बढ़ाना चाहती है। इस लेख में हम आपको Make In India की विशेषताओं और इसके द्वारा मिलने वाले लाभों के बारे में बताएंगे, जिससे आप इस पहल को बेहतर ढंग से समझ सकें और इसका लाभ उठा सकें।
Make In India क्या है?
भारत सरकार ने Make In India पहल को 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में शुरू किया था। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य देश में निर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन देना है ताकि भारतीय उद्योगों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सके और आर्थिक विकास में तेजी लाई जा सके। यह पहल विशेष रूप से विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने और भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को एक नया आयाम देने के लिए भी है। सरकार ने इसके लिए कई तरह के उद्योगों में निवेश किया है और निर्माण उद्योग के ढांचागत विकास के लिए विशेष प्रयास किए हैं। इस पहल की सफलता से न केवल विनिर्माण बढ़ा है बल्कि यह भारतीय उद्योगों के लिए नए अवसरों का भी सृजन करता है।
Make In India का उद्देश्य
भारत की प्रतिष्ठित पहल Make In India का मुख्य लक्ष्य भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की क्षमता को बढ़ाना है, जिससे इसे 16% से बढ़ाकर 25% तक ले जाया जा सके। इस पहल के द्वारा अगले कुछ वर्षों में 100 मिलियन नई नौकरियां सृजित करने का उद्देश्य है, जो कि भारत में बेरोजगारी को काफी हद तक समाप्त करने में मदद करेगा। इसके साथ ही, सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के लिए देशी और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।
इस पहल के तहत, सरकार ने शिक्षा और उद्योग जगत के बीच साझेदारी को बढ़ावा देने के अलावा, टिकाऊ विनिर्माण प्रथाओं को अपनाने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस पहल से विनिर्माण उद्योगों को नई तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे उत्पादकता और प्रतिस्पर्धा में वृद्धि होगी। कौशल विकास की पहल के माध्यम से उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, जो विनिर्माण क्षेत्र को और मजबूती प्रदान करेगा।
Make In India की विशेषताएं
यहाँ ‘मेक इन इंडिया’ की कुछ मुख्य विशेषताएँ दी गई हैं, जिन्हें सरल और सुव्यवस्थित रूप में पुन: व्यक्त किया गया है:
- जीडीपी में वृद्धि: Make In India पहल के तहत, भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विनिर्माण क्षेत्र में 16% से बढ़कर 25% तक पहुँचने का लक्ष्य है।
- रोजगार सृजन: इस योजना के माध्यम से विनिर्माण क्षेत्र में 100 मिलियन से अधिक रोजगार के अवसर सृजित करने का उद्देश्य है।
- विदेशी निवेश: योजना के अंतर्गत 2,40,000 से अधिक निवेशकों को मंजूरी प्रदान की गई, जिससे भारत में 75 बिलियन डॉलर से अधिक का विदेशी निवेश हुआ है।
- उद्योग क्षेत्र में वृद्धि: ऑटोमोबाइल क्षेत्र में 7.9% और इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में 27.3% की औसत वार्षिक दर से वृद्धि हुई है।
- व्यापारिक सुधार: इस पहल के प्रभाव से भारतीय व्यापार की स्थिति में सुधार हुआ है, जिससे 2020 के अनुसार भारत का स्थान 142 से सुधरकर 63 वां हो गया है।
- आर्थिक विकास: Make In India पहल के तहत भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से उभरते हुए विकसित हुई है, जिससे विकास में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है।
ये विशेषताएं Make In India की प्रभावशाली रणनीति और उसके सकारात्मक प्रभावों को दर्शाती हैं, जिससे भारत विश्व मंच पर एक मजबूत आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है।
Make In India के लाभ
Make In India के लाभों को निम्न प्रकार से बताया जा सकता है:
- उद्योगों में वृद्धि: इस योजना के चलते भारतीय बाजारों में उद्योग और व्यवसाय की वृद्धि हुई है, जिससे आर्थिक ताकत में इजाफा हुआ है।
- आयात में कमी और निर्यात में वृद्धि: योजना ने आयात को कम करते हुए निर्यात को बढ़ाया है, जिससे देश की आर्थिक व्यवस्था में सुधार हुआ है।
- विनिर्माण को बढ़ावा: भारत में निर्मित वस्तुओं को प्रोत्साहन मिला है, जिसके फलस्वरूप रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है।
- रोजगार सृजन: यह रोजगार सृजन में काफी लाभकारी साबित हुई है, जिससे बेरोजगारी में कमी आई है।
- अर्थव्यवस्था को मजबूती: विनिर्माण क्षेत्र के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी इस पहल के तहत मजबूती मिली है।
- विदेशी निवेश में वृद्धि: इस पहल के चलते न केवल देशी निवेशकों का आकर्षण बढ़ा है बल्कि विदेशी निवेशकों ने भी भारी मात्रा में निवेश किया है, जो कि देश की आर्थिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।
ये बिंदु Make In India की सफलता की कहानी को बताते हैं और इसके द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था को किस प्रकार से नई दिशा और दशा प्रदान की गई है, इसकी झलक प्रदान करते हैं।
Make In India प्रगति
Make In India की प्रगति को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
- प्रमुख क्षेत्रों में विदेशी निवेश: ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, और सिक्योरिटी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में विदेशी निवेशकों ने गहन दिलचस्पी दिखाई है।
- विनिर्माण सुविधाओं का विस्तार: घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों द्वारा विनिर्माण सुविधाओं का विस्तार किया गया है, जिससे नए उत्पादन इकाइयों की स्थापना हुई और रोजगार के साथ-साथ आर्थिक क्षमताओं का विकास हुआ है।
- रैंकिंग में सुधार: विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा सूचकांक में भारत की रैंकिंग में बड़ा सुधार हुआ है, जिसका मुख्य कारण विनिर्माण क्षेत्र की निवेशक-अनुकूल नीतियां रही हैं।
- दक्षता और उत्पादकता में सुधार: विभिन्न उद्योगों में दक्षता और उत्पादक क्षमता में सुधार हुआ है, जिसका कारण प्रौद्योगिकी और विनिर्माण क्षेत्र को अपनाना है।
- महत्वपूर्ण ढांचे का निर्माण: विनिर्माण क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण ढांचे का निर्माण किया गया है, जो इस क्षेत्र की सबसे बड़ी उपलब्धि में से एक है।
- प्रौद्योगिकी और शिक्षा क्षेत्र में साझेदारी: सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी और शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण साझेदारियां की हैं।
ये बिंदु Make In India के सफल क्रियान्वयन और उसके प्रभाव को उजागर करते हैं, जिसने भारत को एक वैश्विक विनिर्माण हब के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
Make In India का महत्व
भारतीय अर्थव्यवस्था पर” Make In India अभियान का प्रभाव अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस के जरिए न केवल विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश के लिए प्रेरित किया जा सका है, बल्कि इससे विदेशी मुद्रा का आगमन भी बढ़ा है, जो भारतीय उद्योगों के लिए लाभकारी सिद्ध हुआ है। इस अभियान के माध्यम से बेरोजगारी में कमी आई है, क्योंकि इसने अनेक नई नौकरियां सृजित की हैं।